लेखनी कविता - रात भी, नींद भी, कहानी भी - फ़िराक़ गोरखपुरी

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रात भी, नींद भी, कहानी भी / फ़िराक़ गोरखपुरी रात भी, नींद भी, कहानी भी हाय, क्या चीज़ है जवानी भी एक पैगाम-ए-ज़िन्दगानी भी आशिकी मर्गे-नागहानी भी इस अदा का तेरी ...

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